पहचान और अलग अलग नाम:-
लगभग लाल होता है, रोहिणी हरड़ आकार में गोल है, पूतना हरड़ बड़े बीज वाली और नाजुक है, अमृता हरड़ रसदार और छोटे बीज वाली है, इस पेड़ का आकार बड़ा होता है,इस वृक्ष के फल को हरड़ के नाम से जाना जाता है। हरड़ एक प्रसिद्ध जड़ी बूटी है।हरड़ सात प्रकार की होती है। जेसे की विजया, रोहिणी, पूतना, अमृता, अभया, जिवंती, और चेतकी।
विजया हरड़ अभय पंच रेखा युक्त है, जिवंती हरड़ सोने जेसा और चेतकी हरड़ त्रिकोणीय होता है।
सभी प्रकार के रोगों के लिए विजया, घावों के लिए रोहिणी, मुहांसों आदि के लिए पूतना, अतिसार के लिए अमृता, नेत्र रोगों के लिए अभया, सभी रोगों के लिए जिवंती और चूर्ण औषधि बनाने के लिए चेतकी हरड़ उत्तम माना जाता है।
इसको उड़ीसा में हरिडा, बंगाल में हरीतकी, हिन्दी में हरड़/ छोटी हरड़/हड़कावली/हरीतकी, तेलुगु में करकछेटु/अपिछेटु और संस्कृत में इसे शिवा, श्रेयसी, हरितकी,अब्यथा,बयस्था,कायस्था,हेमवती और पथ्य आदि नामों से जाना जाता है।
हरड़ में 18 तरह के अमीनो एसिड( Amino acid ) होते हैं, यह बहुत तीखी होती है और बैक्टीरिया और वायरस को बहुत आसानी से मार देती है। हरड़ सभी प्रकार के कृमि रोगों का नाश करती है। यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को नष्ट करता है। रोजाना हरड़ का सेवन करने से रोग अथवा बुढ़ापा जल्दी नहीं आता है।
हरड़ के गुण
यह कड़वा, तीखा, खट्टा, मीठा और कसैला, कामोत्तेजक, मेधाजनक , रसायन, आँखों के लिए लाभकारी,आयु वृद्धिकारक, पाचन बर्धक और हैजा, पेचिश, क्षय रोग, हृदय रोग, मुंहासे, कुष्ठ, कृमि, ज्वर, पेचिश, यकृत, प्लीहा, गुर्दा, अपच, दन्तक्षय, पेचिश, दाँत दर्द, सिर दर्द, वात,पित्त और कफ आदि रोगों का नाश करने वाला हैं।
हरड़ के तांत्रिक प्रयोग
1- हरड़ सभी को वश में करने में बहुत सहायक होती है. इसे पानी में डुबाकर सांस रोककर सिर पर लगाने से सब वशीभूत हो जाते हैं।
2- किसी भी शनिवार या रविवार के दिन जब पुष्या या अनुराधा नक्षत्र हो तो उस दिन सुबह जाकर हरड़ वृक्ष की जड़ में थोड़ा शक्कर पानी या कच्चे दूध डालने के बाद प्रणाम करें और पूर्व उत्तर दिशा से जड़ का एक टुकड़ा लेकर खुद के पास या घर पर रखे । ऐसा करने से घर या खुद की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
3- हरड़ के बीजों को बालक की दाहिनी भुजा में तथा कन्या की बाएं भुजा पर सात नेत्र, चौदह नेत्र या इक्कीस नेत्र वाले धागे से धारण करने से वसंत ऋतु में होने वाले रोगों से रक्षा होती है।
4- हरड़ वृक्ष की मलांग को रबिपुष्य योग के दिन लाकर सूखाने के बाद इसका चूर्ण बनाए। इस चूर्ण को विभूति बनाकर या तिलक के रूप में माथे पर धारण करने से बड़े से बड़े शत्रु भी मोहित हो जाते हैं।
5- हरड़ को चबाकर ऊपर से थोड़ा सा शहर सेवन करने से पंद्रह दिन में ही सारे रोग दूर हो जाते हैं।
हरड़ का विभिन्न रोगों में प्रयोग
1- हरड़ रसायन
हरड़ को बैसाख और ज्येष्ठ के महीने में बराबर मात्रा में गुड़ के साथ, आषाढ़ औ श्रावण महीने में सेंध नमक के साथ,भाद्रपद और अश्विन महीने में चीनी या मिश्री अथवा आमला चूर्ण के साथ,कार्तिक मार्गशीर्ष महीने में सोंठ के साथ,पूषा और माघ महीनों में छोटा पिप्पली चूर्ण के साथ,तथा फाल्गुन और चैत्र महीने में शहद के साथ सेवन करने पर रसायन फल मिलता हैं।इस रसायन के फलस्वरूप मनुष्य को चिर यौवन की प्राप्ति होती है और बुढ़ापा दूर हो जाता है।शास्त्र के अनुसार इस विधि से शरीर स्वस्थ रहता है और वज्र के समान मजबूत तथा भीम के समान बलवान बनता है। इसका प्रयोग बचपन से ही करना अनिवार्य है।
2- कब्ज के लिए
5/6 हरड़ को पीसकर एक महीने तक रोज रात को गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज बिल्कुल ठीक हो जाती है।
3- अतिसार रोगों के लिए
एक से दो चम्मच पिसी हुई पिप्पली को पिसी हुई हरड़ के साथ बराबर मात्रा में मिलाकर कुछ दिनों तक दिन में दो बार लेने से अतिसार ठीक हो जाता है।
4- कमजोरी के लिए :-
दो चम्मच हरड़ की चूर्ण के साथ घृत और शहद मिलाकर दिन में दो बार एक से डेढ़ महीने तक लेने से कमजोरी दूर हो जाती है।
5- अम्लपित्त के लिए
एक चम्मच हरड़ चूर्ण के साथ खजूर मिलाकर एक महीने तक रोजाना सेवन करने से अम्लपित्त और पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
6- आमवात के लिए
एक चम्मच हरड़ चूर्ण के साथ अरन्डी का तेल मिलाकर रोज दिन में दो बार लेने से आमवात रोग ठीक हो जाता है।
7- बवासीर के लिए
समान मात्रा में हरड़ और सौंफ के बीज को लेकर घी के साथ अच्छे से भूनने के बाद पीसकर कांच के बोतल में रखकर रोज एक तोला चूर्ण सुबह और शाम को गर्म पानी के साथ कुछ दिन तक लेने से बवासीर ठीक हो जाता है।
8- साँस रोग
हरड़ और सोंठ को पीसकर बराबर मात्रा में दिन में दो बार लेने से कुछ ही दिनों में साँस रोग हो जाती है।
9- धातु( वीर्य )की कमी के लिए
हरड़ की जड़ को पीसकर लोहे के पात्र में रात को रखकर सुबह-शाम शहद और गाय के दूध के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में धातु( वीर्य ) की कमी दूर हो जाती है और प्रतिक्रिया प्रबल हो जाती है।
10- भगंदर के लिए
हरड़, नीम के पत्ते, तिल और लोधी को बराबर मात्रा में पीस कर रात को सोते समय भगंदर के चारो तरफ लगाने से कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं।
11- अतिरिक्त खांसी
हरड़, आमला, पिप्पली और सेंधनमक को बराबर मात्रा में मिलाकर दो-दो चम्मच दिन में दो बार कुछ दिनों तक लेने से खांसी ठीक हो जाती है।
12- मुंह से बदबू आना:-
हरड़,जीरा,सेंध नमक,पिप्पली को बराबर मात्रा में पीसकर नियमित रूप से दिन में 2 बार घिसने से कुछ ही दिनों में मुंह की दुर्गंध दूर हो जाएगी।
13- कुष्ठ रोग दूर करने के लिए
एक तोला हरड़ चूर्ण में गन्ना गुड़ मिलाकर दिन में दो बार सेवन करने से कोढ़ ठीक हो जाता है या करेला पत्ते का रस में हरड़ को घिसकर दिन में दो बार रोजाना सेवन करने से कुछ दिन के अंदर कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है।
14- नियमित मासिक धर्म के लिए
हरड़ चूर्ण के साथ तिल का रस मिलाकर कुछ दिनों तक नियमित रूप से सेवन करने से बंद हुआ मासिक धर्म फिर से शुरू हो जाता है।
15- गर्भनिरोध हेतु
पीली हरड़ का रस, तुलसी पत्ते का रस और ब्रोकली का रस बराबर मात्रा में लेकर तीन तोला पानी में थोड़ी सी मिश्री मिलाकर अच्छे से घोल लीजिए।इस घोल को मासिक धर्म के स्नान के बाद तीन दिन तक पिलाने से गर्भधारण की शक्ति कम हो जाती है।
16- हैजा व वसंत ज्वर से बचने के लिए
हरड़ की जड़ को लाल धागे से बांधकर दाहिनी भुजा में धारण करके नियमित रूप से कागजी नींबू सूंघने से चारों ओर फैल रहे हैजे और वसंत से बचाव होता है।
17- कफ दूर करने के लिए
हरड़ चूर्ण के साथ थोड़ा सा नमक मिलाकर रोजाना दिन में दो-तीन चम्मच सेवन करने से कुछ ही दिनों में कफ ठीक हो जाता है।
18- मुंह या जीभ के छाले दूर करने के लिए
मुंह या जीभ के छालों को ठीक करने के लिए बाल हरड़ की जड़ को पीसकर प्रभावित स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
19- चोट या घावों भरने के लिए
थोड़ा सा गर्म पानी में हरड़ को घिसकर प्रभावित हिस्से पर लगाने से चोट या घावों कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।
20- त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) निवारण हेतु
हरड़ को घी के साथ सेवन करने से वात, चीनी या मिश्री के साथ सेवन करने से पित्त, सेंधा नमक के साथ सेवन करने से कफ और गुड़ के साथ सेवन करने से हर तरह की रोगों से मुक्ति मिलती है।
21- पेट की बीमारियों के लिए
हरड़ को पीसकर 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रख दें और सुबह इस पानी को पीने से भूख बढ़ती है और पेट के सारे रोग नष्ट हो जाते हैं।
हरड़ को चबा कर इसकी रस चूसने से भूख बढ़ती है और खाना जल्दी पचता है।
हरड़ के साथ अजवाइन समान मात्रा में मिलाकर सेवन करने से सभी प्रकार के अपच, पेट फूलना, शूल, अम्लीय, जी मिचलाना और उल्टी आदि में आराम मिलता है।
हरड़ के चूर्ण को गर्म पानी के साथ मिलाकर रात में पीने से पेट साफ होता है।
हरड़, बहेड़ा, आंवला को एक साथ पीसकर गर्म पानी में मिलाकर खाने से पेट साफ होता है, भूख बढ़ती है, खाना पचता है और पेट में जमा हुआ गैस बाहर निकल आता है।
प्रत्येक भोजन के बाद हरड़ का रस चूसने से अपच, सीने में जलन आदि परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
22- दस्त को रोकने के लिए
हरड़ के अंदर से बीज निकालकर इसके उपरी हिस्से को पानी में उबालकर अच्छे से छानने के बाद पीने से दस्त रुक जाता है।
23- आंख रोग दूर करने के लिए
हरड़ के बीजों के भीतरी रस को पानी में घोलकर अंजना के रूप में आंखों पर लगाने से आंखों के रोग नष्ट हो जाते हैं।
आंखों में दर्द, पलकों में सूजन या आंखों में सूजन होने से हरड़ के छिलके को घिसकर इसमे अफीम और थोड़ी सी गाय के घी मिलाकर गर्म करके पलकों पर लगाने से आराम मिलता है।आँखों में जमा हुआ पानी भी निकल जाता है।
बाल हरड़ को फिटकिरी और अफीम के साथ उबालकर आंखों की पलकों पर लगाने से आंखों के सभी प्रकार के रोग, सूजन, घाव आदि ठीक हो जाते हैं।
हरड़ किसके लिए हानिकारक है ?
कमजोर, गुस्सैल, व्रती, पित्त प्रधान व्यक्ति, उदास व्यक्ति, थके हुए व्यक्ति, गर्भवती स्त्री तथा रक्तहीन व्यक्ति को हरड़ का सेवन नहीं करना चाहिए।